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ऋषिकेश त्रिवेदी ////रवि के फसल में धान की खेती यानी गर्मी के धान की फसल पर प्रतिबंध को लेकर सवाल किया गया था। इसके जवाब में कृषि मंत्री ने जानकारी दी कि गर्मी के धन पर पाबंदी नहीं है। इसी तरह बोर खनन के मापदंड के बारे में भी जानकारी दी गई।
शुक्रवार को समाप्त हुए विधानसभा सत्र के दौरान विधायक द्वारिकाधीश यादव ने सवाल किया था कि क्या छत्तीसगढ़ प्रदेश में रबी फसल के रूप में धान की खेती में प्रतिबंध लगाया गया है। यदि हां तो उसका क्या कारण है। क्या सभी जिलों में समान रूप से निर्देशों का पालन किया जा रहा है। यदि नहीं तो क्या कारण है। उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या प्रदेश के कृषकों के कृषि पंपों में बिजली आपूर्ति हेतु ट्रांसफार्मर की आपूर्ति मांग अनुरूप की जा रही है। यदि नहीं तो क्या कारण है क्या जनवरी 24 से नवंबर 2024 तक कृषकों को ट्रांसफार्मर प्रदान करने संबंधी शिकायत प्राप्त हुई है। यदि हां तो जिला महासमुंद अंतर्गत प्राप्त शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई है। उन्होंने यह भी जानना चाहा था कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में बोर खनन हेतु प्रतीबंध किस मापदंड के आधार पर लगाया जाता है। महासमुंद जिले में बोर खनन पर प्रतिबंध पर की गई कार्रवाई की जानकारी भी उन्होंने मांगी थी।:
इस सवाल के जवाब में कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने बताया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में रबी फसल के रूप में धान की खेती में प्रतिबंध नहीं लगाया गया है । उन्होंने बताया कि कृषि पंप में बिजली आपूर्ति हेतु ट्रांसफर की आपूर्ति मांग के अनुरूप की जा रही है । जनवरी 24 से नवंबर 2024 तक कृषकों को ट्रांसफार्मर प्रदान करने संबंधी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में बोर खनन हेतु प्रतिबंध छत्तीसगढ़ पेयजल परीक्षण अधिनियम 1986 में उल्लेखित मापदंड के आधार पर लगाया जाता है ।इस अधिनियम के तहत यदि जनता को जल प्रदाय बनाए रखने या बढ़ाने के लिए या जल का सामान वितरण सुनिश्चित करने के लिए जिला कलेक्टर को लगता है कि जल अभाव क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए । ऐसी स्थिति में आदेश जारी किया जाता है । कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने बताया कि महासमुंद जिले में कलेक्टर ने 1 मई 2024 को आदेश जारी कर आगामी आदेश तक जल अभाव क्षेत्र घोषित करते हुए बोर खनन पर प्रतिबंध लगाया है। यह आदेश 24 नवंबर की स्थिति में प्रभावशील है।
