
ऋषिकेश त्रिवेदी::::इन दिनों किसानों की फसलों को खरीदने शासन स्तर पर कवायद जारी है,इसी क्रम में समर्थन मूल्य में धान की खरीदी की जा रही है लेकिन किसानों को कैसे परेशान करना है और उन्हें कैसे मानसिक रूप से दबाव बना कर रुपए ऐंठना है यह समिति प्रबंधकों ने खोज निकाला है, पहले अधिक धान की तौल की जाती थी ताकि आधी रात उनके धान से भरे बारदानों से दो से तीन किलो धान निकाल कर बेचा जाता था,लेकिन शिकायतों के बाद उसमें विराम लगा तो अब नमी मापक यंत्र के माध्यम से लूट खसोट जारी है, किसान जब ट्रेक्टर में धान के बारदाने लोड कर समितियों में बेचने जाते हैं तो नमी मापक यंत्र जो पहले से सेटिंग कर रखा जाता वह धान के बारदानों में घुसाने पर तय किए गए माप से अधिक बताता है जिससे किसानों को धमकी देकर धान वापस ले जाने दबाव बनाया जाता है घबराया किसान हजार दो हजार रुपये प्रबन्धकों को दे जाता है ,,फिर घूस देते ही नमी मापक यंत्र सही बताने लगता है ऐसा लगभग सभी समितियों में खुले आम हो रहा है।घूस मिल जाने के बाद किसान का धान खरीद लिया जाता है ,, जरूरत है शासन स्तर पर कड़ी निगरानी करने की ताकि प्रबन्धकों की इस मनमानी से किसानों को छुटकारा मिल सके,

