

ऋषिकेश त्रिवेदी:::::1947 से लेकर अब तक रक्षा मंत्रालय मोहनभाटा की उस जमीन को अपने कब्जे में लेने में नाकाम रहा है, जिसकी मुवावजा राशि वर्षों पहले दिया जा चुका है।हालात यह है कि जिन ज़मीनों को सरकार ने किसानों से खरीदा था वह तो हांथ नही लगी उल्टे जो सरकारी जमीन थी वह भी कब्जाधारियों के कब्जे में है।लगभग साढ़े चार सौ एकड़ जमीन पर रक्षा मंत्रालय का कब्जा वर्षों पहले हो जाना था,लेकिन ढीले ढाले रवैये के कारण अब तक कब्जा नही लिया जा सका।गुरुवार को जबलपुर की टीम मौके पर पहुँच कर एक बार फिर जमीन की विस्त्रीत जानकारी एकत्रित कर रही थी,सम्बंधित तहसीलदार,, आर आई व पटवारियों की टीम जबलपुर से आई टीम का सहयोग जरूर कर रहे थे।लेकिन 75 साल पुराने मामलों में कुछ बता पाने में असमर्थ हैं,, हालांकि पुराने नक्शे से जमीन खंगालने का काम किया जा रहा है जिसमे सफलता मिलना मुश्किल है।सूत्रों की माने तो साढ़े चार सौ एकड़ जमीन में जो दो सौ एकड़ जमीन सरकारी जमीन है उसमें रसूखदारों का कब्जा है, और बची लगभग ढाई सौ एकड़ जमीन में किसान अभी भी काबिज हैं।फिलहाल जबलपुर से आई रक्षा मंत्रालय की टीम जांच कर रही है, देखना होगा उन्हें जमीन मिलती है या फिर सब एक बार फिर ठंडे बस्ते चला जाता है ????

