कार्बाइड गन के चलते सैकड़ों परिवारों की आफत में पड़ी जिन्दगी,रोशनी के त्यौहार में छाया अंधेरा,कार्बाइड गन के धुंए से बच्चों की आंखे हुईं खराब

ऋषिकेश त्रिवेदी/////इस बार दीपावली का त्योहार कई परिवारों के लिए अंधकार बनकर आया।
पटाखों के बीच इस्तेमाल हो रही कैल्शियम कार्बाइड पाइप गन (Carbide Gun) ने सैकड़ों लोगों की आंखों की रौशनी छीन ली।
राज्यभर में अब तक 300 से अधिक लोगों की आंखों को नुकसान पहुंचा है, जिनमें से 162 से ज़्यादा मामले अकेले राजधानी भोपाल से सामने आए हैं।



चौंकाने वाली बात यह है कि मुख्यमंत्री और ICMR की चेतावनी के बावजूद ये खतरनाक गन बाजारों में खुलेआम बिकती रहीं।
क्या है ‘कार्बाइड गन’? — विज्ञान के नाम पर विनाश का हथियार
‘कार्बाइड गन’ देखने में खिलौना जैसी लगती है, लेकिन असल में यह एक रासायनिक विस्फोटक यंत्र है। इसमें डाले गए कैल्शियम कार्बाइड पर पानी की कुछ बूंदें पड़ते ही एसिटिलीन गैस बनती है।
यह गैस ज्वलनशील होती है और बंद पाइप या लोहे के सिलिंडर में दबाव बढ़ने पर तेज़ धमाका करती है।
कई बार यह धमाका सीधे चेहरे और आंखों पर असर डालता है।
भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, सागर और इंदौर में अस्पतालों के नेत्र विभागों में दर्जनों बच्चे और युवा भर्ती हैं, जिनकी आंखें रासायनिक और थर्मल बर्न से बुरी तरह झुलस गईं।
CM और ICMR ने पहले ही दी थी चेतावनी, पर प्रशासन सोता रहा
18 अक्टूबर को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन ने जिलों को सख्त आदेश दिया था कि
“कैल्शियम कार्बाइड गन की बिक्री किसी भी हालत में न होने दी जाए।”
यह चेतावनी नई नहीं थी।
ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) ने दो साल पहले ही अपनी रिपोर्ट में कहा था कि
“कार्बाइड और पानी के रिएक्शन से बनी एसिटिलीन गैस आंखों की झिल्ली को जला सकती है और स्थायी अंधत्व तक का खतरा पैदा कर सकती है।”
फिर भी दीपावली की रात बाजारों में ये गन 50 से 150 रुपये में खुलेआम बिकती रहीं।
प्रशासन के नाक के नीचे लाइसेंस रहित दुकानों पर हजारों की संख्या में बिक्री होती रही।
आंखों के डॉक्टरों की चेतावनी — रासायनिक चोट सबसे गंभीर
भोपाल के हमीदिया हॉस्पिटल के नेत्र विभाग में 60 से अधिक घायल भर्ती हैं।
डॉ. पल्लवी चौरे (ऑफ्थैल्मोलॉजिस्ट) के अनुसार —
“कैल्शियम कार्बाइड की गैस आँखों में पहुँचने पर अल्कलाइन बर्न करती है, जो साधारण पटाखे के बारूद से कहीं अधिक घातक होता है।
शुरुआती इलाज न मिलने पर यह कॉर्निया को स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त कर देता है।”
कई मामलों में पीड़ितों को तत्काल कॉर्नियल ट्रांसप्लांट (नेत्र प्रत्यारोपण) की जरूरत पड़ सकती है।
प्रशासन हरकत में — बिक्री-खरीद और भंडारण पर बैन
भोपाल कलेक्टर कायथी नागेश्वर ने रविवार रात कैल्शियम कार्बाइड गन की बिक्री, खरीद और स्टॉकिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया।
शहर में छापेमारी कर पुलिस ने 10 किलो कार्बाइड और 4 पाइप गन के साथ मोहम्मद ताहा को गिरफ्तार किया।
इसी तरह ग्वालियर में शाहिद अली नामक युवक कार्बाइड गन बेचते पकड़ा गया।
प्रदेश के सभी ज़िलों में पुलिस अधीक्षकों को स्पेशल ड्राइव चलाने के आदेश दिए गए हैं।
अब इस गन को Explosive Substances Act के तहत अपराध माना जाएगा।
ICMR की रिपोर्ट क्या कहती है
ICMR ने अपने अध्ययन में बताया था कि
कैल्शियम कार्बाइड + पानी = एसिटिलीन गैस
यह गैस अत्यधिक ज्वलनशील होती है और त्वचा व आंखों की ऊपरी परत को Alkaline Burn कर सकती है
इससे कॉर्निया के सेल मर जाते हैं, जिससे आंख खुद को रिपेयर नहीं कर पाती
परिणाम: स्थायी दृष्टिहीनता, जलन, संक्रमण और नेत्र सर्जरी की आवश्यकता
हादसों का आंकड़ा (जिलेवार अनुमानित रिपोर्ट)
जिलाअनुमानित प्रभावित लोगप्रमुख अस्पतालभोपाल162+हमीदिया, गांधी मेडिकल कॉलेजग्वालियर45जयारोग्य हॉस्पिटलजबलपुर28NSCB मेडिकल कॉलेजसागर22जिला अस्पतालइंदौर18MY हॉस्पिटलअन्य जिले~25स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र
(राज्य स्वास्थ्य विभाग के आंतरिक स्रोतों से प्राप्त आँकड़े)
2 — प्रशासनिक निर्देश
कैल्शियम कार्बाइड पाइप गन की बिक्री, खरीद और भंडारण पर रोक।
आरोपियों पर FIR, Explosive Act के तहत कार्रवाई।
सभी जिलों में छापेमारी और जब्ती की कार्रवाई जारी।
स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश।
स्वास्थ्य विभाग को निर्देश — “सभी जिला अस्पतालों में Eye Emergency Ward सक्रिय रखें।”
3 — मेडिकल गाइडलाइन (यदि आंख में रसायन जाए)
तुरंत आंखों को साफ़ पानी से 15–20 मिनट तक धोएं।
किसी भी स्थिति में रगड़ें नहीं या घरेलू उपाय न करें।
तुरंत निकटतम अस्पताल या नेत्र चिकित्सक से संपर्क करें।
देर से उपचार होने पर कॉर्निया बर्न स्थायी दृष्टि हानि में बदल सकता है।
चेतावनी से कार्रवाई तक का सफ़र
यह पहला मौका नहीं है जब कार्बाइड गन से जान-माल का नुकसान हुआ हो।
2023 में भी ICMR और नेत्र चिकित्सक संघ ने इसके खिलाफ अभियान चलाया था।
लेकिन नियमन और निगरानी की कमी,
लोकल स्तर पर सस्ते निर्माण,
और लाइसेंसिंग के अभाव ने इसे हर गली तक पहुँचा दिया।
त्योहार के उत्सव और विज्ञान की अज्ञानता के बीच
राज्य की सुरक्षा प्रणाली और जनजागरूकता दोनों नाकाम दिखे।
अब जबकि सैकड़ों बच्चे स्थायी नुकसान झेल रहे हैं।

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