ऋषिकेश त्रिवेदी/////बिलासपुर शहर स्थित चिंगराजपारा अटल आवास शुक्रवार को खुशियों से झूम उठा, जब 75 वर्षीय बुजुर्ग दादूराम गंधर्व ने 45 साल की महिला से सात फेरे लेकर नई जिंदगी की शुरुआत की। उम्र के अंतर को दरकिनार कर दोनों ने शिव मंदिर में विधि-विधान से शादी की। वरमाला, सिंदूर, सात फेरे और मंगल गीतों के बीच मोहल्ले के लोगों ने इस अनोखे मिलन को प्रेम की सच्ची मिसाल बताया। साथ ही मोहल्ले वालों ने यह भी कहा कि इस विवाह के बाद एकाकी जीवन जी रहे उम्रदराज बूढ़े लोगों की भी उम्मीदें बढ़ गई हैं। जब से दादू राम जी के विवाह की बात चल रही थी तब से मोहल्ले के अन्य उम्रदराज लोग अपने फिटनेस और सुंदरता को लेकर ब्यूटी पार्लर की ओर रुख करने लगे हैं।
फिलहाल सुबह से ही मंदिर में रौनक थी। दादूराम सफेद धोती-कुर्ता और गुलाबी साफे में दूल्हा बनकर पहुंचे तो माहौल तालियों से गूंज उठा। वहीं, लाल साड़ी में सजी दुल्हन मुस्कुराते हुए मंडप में पहुंची। पुजारी ने मंत्रोच्चार के बीच विवाह संस्कार पूरे कराए। वरमाला डालने से लेकर सात फेरे तक की रस्मों में मोहल्ले के लोग शामिल हुए। शादी के बाद मिठाई बंटी, नाच-गाने हुए और सभी ने नवदंपती को आशीर्वाद दिया।
दादूराम गंधर्व रोजी-मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं। मोहल्ले में ही रहने वाली महिला से उनका परिचय कुछ साल पहले हुआ था। दोनों के बीच पहले दोस्ती हुई, फिर धीरे-धीरे यह रिश्ता प्यार में बदल गया। एक-दूसरे की देखभाल, साथ रहना और समझ ने इस रिश्ते को गहराई दी। मोहल्ले वालों के मुताबिक, अक्सर दोनों को मंदिर या बाजार में साथ देखा जाता था। आखिरकार, परिवार और पड़ोसियों की सहमति से उन्होंने शादी का फैसला किया और गुरुवार को यह प्रेम कहानी हकीकत में बदल गई।
शादी के बाद दादूराम ने मुस्कुराते हुए कहा — “उम्र तो बस गिनती है, प्यार की कोई उम्र नहीं होती। अब जीवन के बाकी दिन हम दोनों सुकून से बिताएंगे।”
मोहल्ले के लोगों ने भी इस रिश्ते की सराहना करते हुए कहा कि यह विवाह समाज को यह संदेश देता है कि “खुशी की कोई उम्र नहीं होती, बस सच्चा दिल चाहिए।”
1: पहले पति की शराबखोरी से तंग आई थी दुल्हन
45 वर्षीय दुल्हन ने बताया कि उसका पहला विवाह करीब 25 साल पहले हुआ था, लेकिन पति की शराबखोरी और रोजाना के झगड़ों से परेशान होकर उसने 10 साल पहले रिश्ता तोड़ दिया। उसके दो बच्चे हैं, जो अब बड़े हो चुके हैं और अलग रहते हैं। दुल्हन का कहना है कि दादूराम ने हमेशा उसका सम्मान किया, उसे समझा और जीवन में फिर से खुशियां दीं।
2: ऐसे चढ़ा दोनों के बीच प्रेम का रंग
दादूराम रोजी-मजदूरी का काम करते हैं और महिला घरों में काम करती थी। दोनों की मुलाकात मोहल्ले में ही हुई। शुरुआत में हालचाल पूछने से शुरू हुई बात धीरे-धीरे आत्मीयता में बदल गई। कई बार दादूराम उसके लिए सब्जी या दवा लेकर आते, तो महिला उनके लिए खाना भेज देती। मोहल्ले के लोगों ने बताया कि मंदिर में पूजा के दौरान दोनों को अक्सर साथ देखा जाता था। धीरे-धीरे यह अपनापन गहरे प्रेम में बदल गया और दोनों ने तय किया कि अब वे साथ जीवन बिताएंगे।
शाम को जब दूल्हा-दुल्हन मंदिर से बाहर निकले, तो पूरा मोहल्ला फूल बरसाने लगा। बच्चे तालियां बजा रहे थे, महिलाएं गीत गा रही थीं और बुजुर्ग आशीर्वाद दे रहे थे। चिंगराजपारा अटल आवास में यह शादी अब चर्चा का विषय बन गई है — कुछ लोग इसे अजब प्रेम की कहानी कह रहे हैं, तो कई इसे “सच्चे रिश्ते की मिसाल” बता रहे हैं।


